जल संरक्षण:कितना जरूरी

आज भारत देश जब अत्यंत तीव्र गति से विकास के पहिए पर निरंतर बढ़ता दिख रहा है तो हमारे लिए विकास शब्द के महत्व को समझना भी कितना जरूरी है और इसी के साथ विकास के पैमाने क्या-क्या होने चाहिए इसको भी जानना आवश्यक है। आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया के ऐसे कई देश हैं जो सूखा और जल संकट से जूझ रहे हैं मनुष्य आज मंगल ग्रह तक पहुंच चुका है जो कि विकास की सीढ़ी पर एक और कदम रखने को प्रदर्शित करता है लेकिन भारत अभी भी विकासशील देश की श्रेणी में खड़ा है जिसका एक कारण यह भी है कि भारत सहित अनेक विकासशील देशों के अनेक गावों में आज भी पीने योग्य शुद्ध जल उपलब्ध नहीं है,जब कि शहरों में लोगों को तरह तरह की कंपनियों जैसे एक्वागार्ड,केंट मिनरल RO आदि के द्वारा पानी को पूर्णतया शुद्ध करने की गारंटी दी जा रही है।जल संरक्षण पर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है कि हम सभी यह बात जानते हैं कि दुनिया के क्षेत्रफल का लगभग 70% भाग जल से भरा हुआ है,परंतु पीने योग्य मीठा जल मात्र 3% है,शेष भाग खारा जल है जो पीने योग्य बिल्कुल नहीं होता है।इसमें से मात्र 1% मीठे जल का ही वास्तव में हम उपयोग कर पाते हैं।यह संपूर्ण जल निर्दिष्ट जल चक्र में चक्कर लगाता रहता है। पानी की समस्या है विकराल। जल बचाव की बने मिसाल।। पानी की रक्षा। देश की सुरक्षा।।
पानी हमारे जीवन में किस तरह से महत्वपूर्ण है इसे किसी के लिए भी समझना कठिन नहीं होना चाहिए,बचपन से हमें यह बात हमेशा बताई गई है ''जल ही जीवन है''। अर्थात जल के बिना इस धरती की कल्पना अधूरी है।जल सिर्फ धरती पर मानव रूपी जीवो के लिए ही नहीं बल्कि तमाम तरह के पशु,पक्षी,विभिन्न खाद्य पदार्थो के उत्पादन, जीवन की मूलभूत आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन और इसके साथ ही हमारे आसपास के वातावरण को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।हम सभी लोग अगर अभी से जल संरक्षण के प्रति गंभीर नहीं हुए तो हमारी आने वाली पीढ़ी जल की भयानक त्रासदी से जूझती जरूर नजर आएगी और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सारे विश्व में तीसरा विश्व युद्ध पानी को लेकर ही होने वाला है जो कि हमारे देश के अत्यंत प्रभावशाली पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बहुत पहले ही कही थी क्योंकि जिस तरह से पानी की मांग लगातार बढ़ रही है और इसके बचाव के लिए अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह अत्यंत विचारणीय योग्य प्रश्न है और इस प्रश्न के उत्तर की शुरूआत हम अपने घर से कर सकते हैं।आपको यह सभी तथ्य जानकर हैरानी होगी कि- 1. दांत ब्रश करते समय नल खुला रखने से 15 लीटर पानी बेकार हो सकता है। 2. एक बूंद प्रति सेकंड की दर पर टपकने वाले नलों से हर वर्ष 10000 लीटर पानी व्यक्त हो सकता है। 3. रिसाइकिल करें फिर से इस्तेमाल करें:एक सूती टी-शर्ट बनाने में 2500 लीटर पानी और एक जोड़ा जीन्स बनाने में लगभग 10,000 लीटर पानी लगता है। 4. बागवानी: खासकर विकसित देशों में भूदृश्य बनाने और बागवानी करने में घरेलू जल उपयोग का एक बड़ा हिस्सा लगता है इसके अलावा बागवानी में इस्तेमाल किए गए जल का 50 फीसदी भाप से उड़ने या जरूरत से ज्यादा पानी देने के कारण बर्बाद हो जाता है। 5. होज या स्प्रिंकलर की बजाये बूंद-बूंद से होने वाली सिंचाई प्रणाली लगाएं।बगीचे में सुबह या शाम को पानी दें ताकि भाप के कारण कम पानी व्यर्थ हो। 6. अगर आप मांसाहारी भोजन खाना कम कर दें एक किलोग्राम चिकन में चिकन चारे और प्रोसेसिंग में लगने वाले पानी के अर्थों में 3900 लीटर पानी खर्च होता है और एक किलोग्राम मटन में 6000 लीटर पानी खर्च होता है। 7. 1 किलो गेहूं में 1000 लीटर पानी लगता है और 1 किलो चावल के लिए 3750 लीटर पानी की जरूरत होती है।अगर आप एक कप कॉफी पीते हैं उसके बदले चाय पीने पर विचार करें।एक कप कॉफी के लिए जरूरी कॉफी बींस उगाने और प्रोसेसिंग में 140 लीटर पानी लगता है जबकि एक कप चाय के लिए सिर्फ 30 लीटर पानी की जरूरत होती है। 8. वाटर ओवरफ्लो अलार्म लगाएं छतों पर लगी टंकियों से पानी गिर कर बर्बाद होने का एक आम दृश्य है। हमें इसे रोकना होगा और इसके लिए सबसे सरल उपाय है कि आप अपनी टंकी को एक वाटर ओवरफ्लो अलार्म से जोड़ दें। 9.flush के अंदर पानी की बोतल में बालू -कंकड़ भर कर डाल दें अमूमन फ्लश से जरूरत से अधिक पानी बहता है,इसलिए अगर आप उसमे 1लीटर की बोतल में बालू-कंकड़ आदि भर कर डाल देते हैं तो हर एक flush पर आप 1लीटर पानी बचा सकते हैं। 10.R.O मशीन द्वारा लिए गए कुल पानी का 75% भाग वेस्ट हो जाता है इसलिए कोशिश करिये कि मशीन के रास्ते पाइप से जो पानी निकल रहा है उसे बकेट में इकट्ठा कर लिया जाए। इसी तरह AC से निकलने वाले पानी को भी सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वस्थ रहना है तो योग करो। पानी का सदुपयोग करो।। पानी का हमेशा करो मान। तभी बनेगा देश महान।।
निश्चित ही जल संरक्षण आज के विश्व में सभी समाज के लोगों के लिए यह सर्वप्रमुख चिंता होनी चाहिए,क्योंकि यह प्रकृति हमे हमारे जीवन के लिए जल,प्रकाश,वायु हमारे चारों ओर का स्वस्थ वा स्वच्छ वातावरण आदि का उपहार देकर उपकृत करती रही है लेकिन हम अपने स्वार्थ में स्वार्थी हो कर सबकुछ भूलकर प्रकृति के नैसर्गिक संतुलन को ही बिगाड़ने पर लगे हुए हैं। पानी=जीवन,संरक्षण=भविष्य।
पानी को बचाओगे,अपने जीवन को बचाओगे। जल है तो हम हैं और जल है तो कल है।

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