हम लोगों ने अपने आस पास बाबू नाम का शब्द जरूर सुना है_ _ _और आज-कल तो यह शब्द ज्यादा ही प्रचलन में है। हम प्यार से या यूं कहें कि ज्यादा प्यार में लोगों को बाबू कहते हैं,और कुछ लोग तो अपने सबसे प्यारे बच्चे का नाम भी बाबू रखते हैं।कार्यालयों में हम सरकारी अधिकारियों और क्लर्कों को भी बाबू कहते हैं। हम अपना मतलब(काम) निकालने के लिए भी उसको प्यार से बाबू-भैया कहकर बात करते हैं या उसकी चापलूसी करते हैं और हम भारतीय की आदत है कि कोई हमें प्यार दे और सम्मान से बाबू कहकर बुलाये तो क्या बात है ? लेकिन प्रश्न अब यह उठता है कि ये ''बाबू'' शब्द की उत्पत्ति हुई कहाँ से ? हमने तो कभी इतनी गहराई में जाने की सोचा ही नहीं है ना जैसे सभी शब्द होते हैं वैसे ही होगा कोई शब्द बाबू भी लेकिन अगर वर्तमान समय में यह शब्द इतना प्रचलन में है तो जरूर ध्यान देने योग्य है। और भाई ये बाबू शब्द भी कहीं न कहीं से तो आया ही होगा जो कि हमारी जिंदगी में इस तरह घुस चुका है कि सभी में से कुछ एक खास हमें बाबू ही लगता है"_ _ _ _ _आइये जानते हैं फिर आखिर यह शब्द आया कहाँ से ? अब मैं ज्यादा लम्बी भूमिका नहीं बाँधूँगा और इस शब्द से जुड़े कुछ रोचक तथ्य से जरूर आपको रूबरू कराना चाहूंगा ।बात दरअसल यह है कि अंग्रेजों ने हम पर जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 200 वर्षो तक राज किया _ _ _ और हम हिंदुस्तानियों को अपना गुलाम बना कर रखा और इसके साथ ही वह हमें बहुत ही हेय (गिरी) नजर से देखा करते थे। उस समय अधिकतर भारतीय लोग उन अंग्रेजों के घरों और सरकारी दफ्तरों में नौकर हुआ करते थे_ _ _ तो जो अंग्रेज हम पर अपनी हुकुमत चलाते थे वही हम लोगों को बबून (Baboon) कहकर पुकारते थे_ _ _अभी इस बबून से आप बाबू का तात्पर्य नहीं निकालिएगा थोड़ा और तो इंतजार करिये। जैसा कि हमने देखा , पढ़ा और सुना भी होगा कि बबून(baboon) एक प्रकार का बन्दर प्रजाति का जानवर है_ _ _ जो कि अफ्रीका में पाया जाता है जिसका मुँह कुत्ते जैसा और धड़ बन्दर जैसा होता है और भाई इंन्सान को तो बन्दर का रूप कहा ही जाता है _ _ _ तो भाई यह अंग्रेज हमें बबून(baboon) कहकर पुकारते थे_ _ _जो की अपभ्रंश होकर बाबू हो गया। इसका भी एक कारण है दोस्तों चूंकि हमारे यहाँ तो आज भी एक छोटा सा काला अक्षर भैंस के बराबर हो जाता है तो बात जब आज से 200 वर्ष पहले की हो रही हो तो आप समझ ही सकते हैं न_ _ _ _ _उस समय भी हम भारतीयों को अंग्रेजों की अंग्रेजी तो समझ आती नहीं थी जब आज भी नहीं आती है यार। हाँ तो जब अंग्रेज हम भारतीयों को बबून (baboon) कहकर बुलाते थे तो हम भारतीयों को यह लगता था कि यह लोग हमें प्यार से ''बाबू'' बुलाते हैं।और ऐसा अंग्रेज उस समय अधिक करते थे जब उनके घर में विलायत से मेहमान आता था_ _ _ _ _ यहां तक कि उस वक़्त के अधिकारियो को भी अंग्रेज बबून ही बुलाते थे_ _ _ चूंकि भाई अब हमें कभी अंग्रेजों की अंग्रेजी तो समझ आयी नहीं तो हमको बड़ा अच्छा लगने लगा कि अरे वाह अंग्रेज तो हमें प्यार से बबून(बाबू) बुलाते हैं। हम भारतीय तो प्यार के भूखे और तो और हम बड़ी खुशी-खुशी सभी को बताते कि अंग्रेज तो हमें प्यार से बाबू कहकर पुकारते हैं _ _ _ _ _बेचारों को क्या मालूम था कि अंग्रेज हमें गालियां दे रहे हैं _ _ _बबून कहकर। हम थे ही इतने सीधे सादे आज भी हैं_ _ _आज भी कितने भारतीय बबून(baboon) बन्दर के बारे में जानते हैं? धीरे -धीरे यह शब्द हमारी आम जींदगी में प्रचलन में आ गया आज यह शब्द हमारी नस-नस में बस चूका है हम आज भी यह देखते हैं और सुनते हैं कि हमारे यहां क्लर्कों को बाबू या अधिकारी रुतबे को बड़े बाबू कहकर बुलाया जाता है। और कहा भी क्यों न जाये क्योंकि यह लोग तो काम कम और चापलूसी ही अधिकतर करते हैं अच्छा ही है वैसे भी इन सरकारी बाबुओं ने आम भारतीयों का जीना दुर्भर कर रखा है। यह लोग सिर्फ बाबूगिरी करते हैं यानि की कुत्तागिरी _ _ _कितना सही नाम दिया है न अंग्रेजो ने ''बाबू''। बात अगर शुरू हो ही गयी है तो अंत अच्छा होना ही चाहिए दोस्तों । बाबू शब्द का प्रचलन तो प्यार में एक कपल के लिए सबसे महत्वपूर्ण शब्द बन गया है आज हर एक युवा युवक युवती की बात बाबू से शुरू होती और बाबू पर ही आकर समाप्त होती है।बाबू शब्द है बड़ा कमाल का अच्छे अच्छे लोगो की हिंदी सुधारने ठेका जैसे इसने ही ले लिया है।आज लोग पैदा होने के कुछ वर्ष बाद कम लेकिन युवा होते-2 अधिक तोतले होते जा रहे हैं,अब भाई आप ही देख लीजिए एक प्रेमी की प्रेमिका उससे नाराज क्या हुई_ _ _ युवक के कहने का अंदाज ए बयां_ _ _ अले ले ले ले _ _ _मेला बाबू गुच्छा हो गया त्या_ _ _ _ अरे भाई अब इनको कौन बताये कि तुम्हारा बाबू तो उन गुच्छओं में से ही एक है जिसको तुम सबकी नज़रों से चुरा कर लाये हो । '' चुरा के दिल मेरा गोरियां चलीं '' इस गुच्छे को तुम इतना दिल लगाओगे तो जरूर तुम्हारा बाबू गुस्सा हो जायेगा यार _ _ _ _ _ _ अब देखिये बाबू के सोने पर भी एक बाबू को कैसे ऐतराज होता है ?अले त्या कल ला है मेला बाबू? अत्था छोला है त्या मेला बाबू? उधर से जवाब आता है कि हाँ मैं छोला हूँ और तू भटूरा😊😊। है न दोस्तों यह बाबू शब्द कमाल का प्यार में लोग न जाने क्या क्या बने लेकिन आज की पीढ़ी को तोतला बनना पसंद आ रहा है अपने बाबू के लिए। बाबू जी को धीरे चलने की भी सलाह दी जाती है लेकिन वह अपनी रफ़्तार से भागे जा रहे हैं_ _ _ _ _ बाबू बाबू बाबू बाबू बाबू_ _ _ _ _ _ ये शब्द है या जादू इस शब्द में है कोई जादू ? मेरा भी एक बाबू होगा और उसको भी मैं बताऊंगा कि तू बन एक बार मेरी बाबू फिर देख अपने बाबू का कमाल।
Comments
Post a Comment